योगी सरकार का सख्त कदम: 2.44 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर रोक
योगी सरकार ने 2.44 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर रोक लगा दी है, जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया। जानें क्यों उठाया गया ये कदम और इसके पीछे की वजह।
संपत्ति जानकारी न देने वाले कर्मचारियों पर गिरी गाज
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है, जिससे राज्य के सरकारी कर्मचारियों के बीच हलचल मच गई है। राज्य सरकार ने 2.44 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी रोक दी है। यह फैसला उन कर्मचारियों के खिलाफ लिया गया है, जिन्होंने निर्धारित समय सीमा तक अपनी संपत्ति की जानकारी सरकार को नहीं दी थी। सरकार का यह कदम सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
सैलरी रोकने का कारण
योगी सरकार ने सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। यह निर्देश राज्य के मुख्य सचिव की ओर से जारी किया गया था, जिसमें 31 अगस्त 2024 की समय सीमा निर्धारित की गई थी। सरकारी कर्मचारियों को मानव संपदा पोर्टल पर अपनी चल और अचल संपत्ति की जानकारी अपलोड करनी थी।
इस प्रक्रिया का पालन करते हुए केवल 71% कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत किया, जबकि 29% कर्मचारियों ने इस आदेश की अवहेलना की। इन कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उनकी सैलरी पर रोक लगा दी गई है। सरकार का मानना है कि इस कदम से सरकारी कर्मचारियों में संपत्ति की पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं पर रोक लगाई जा सकेगी।
विभाग | समय पर जानकारी देने वाले कर्मचारी (%) |
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टेक्सटाइल विभाग | 85% |
सैनिक कल्याण विभाग | 80% |
ऊर्जा विभाग | 78% |
खेल विभाग | 76% |
कृषि विभाग | 74% |
महिला कल्याण विभाग | 72% |
शिक्षा विभाग | 60% |
स्वास्थ्य विभाग | 62% |
राजस्व विभाग | 63% |
शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में अनुपालन की कमी
शिक्षा विभाग में अनुपालन की कमी सबसे अधिक देखने को मिली है। बड़ी संख्या में शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति की जानकारी प्रस्तुत नहीं की, जिससे सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। इसी तरह, स्वास्थ्य और राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने भी संपत्ति की जानकारी देने में देरी की है।
समाजवादी पार्टी की तीखी प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सपा ने सोशल मीडिया पर कहा, “कथित ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के जनक के राज में कर्मचारियों की सैलरी तक रोक दी जा रही है।” सपा का आरोप है कि सरकार को कर्मचारियों के प्रति सख्त रवैया अपनाने के बजाय उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।
सरकार का स्पष्टीकरण
योगी आदित्यनाथ सरकार का कहना है कि उनका निर्णय सरकारी कर्मचारियों की वित्तीय पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। सरकार का मानना है कि यह कदम प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार करेगा और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाएगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, अब तक राज्य के 846,640 सरकारी कर्मचारियों में से केवल 602,075 कर्मचारियों ने ही अपनी संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत किया है। सरकार के इस कदम से बाकी कर्मचारियों को भी संपत्ति का ब्यौरा समय पर प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।